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प्रोफ कमल दीक्षित
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अब धीरे धीरे सभी लोग यह मानने लगे हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता धर्म का ग्रन्थ नहीं है. वह तो व्यक्ति को आत्म साक्षात्कार के लिए प्रेरित करता है. अपने सामने और आने वाली जीवन की समस्याओं का सामना करने तथा उनपर विजय पाने का रास्ता बताने वाला ...
अर्जुन ने यह कहते हुए कि यह सब मेरे अपने ही हैं, इन्हें मारकर मुझे क्या सुख मिलेगा, अपना गांडीव रखते हुए युद्ध न करने की अपनी इच्छा व्यक्त कर दी. इसपर भगवान बोले कि अर्जुन तुम वीर हो तुम्हें ऐसे मौके पर कायरता शोभा नहीं देती.
अर्जुन यह तो जानता था कि वह ...
अब धीरे धीरे सभी लोग यह मानने लगे हैं कि श्रीमद्भगवद्गीता धर्म का ग्रन्थ नहीं है. वह तो व्यक्ति को आत्म साक्षात्कार के लिए प्रेरित करता है. अपने सामने और आने वाली जीवन की समस्याओं का सामना करने तथा उनपर विजय पाने का रास्ता बताने वाला ग्रन्थ है. वह अपने ही ...
कमल दीक्षित
एक बडा भ्रमात्मक वाक्य है जो सबसे अधिक उपयोग में आता रहा है। भगवान से जो मांगोगे, वह तुमको मिलेगा। पुराणों में भी इस तरह के आख्यान और कहानियां हैं कि भगवान ने सब कुछ दे दिया, विवाह में आकर सारा सामान दिया, मकान आदि भी दे दिये। यानी भगवान हमारी ...
हम सामान्यतः अपनी हदों, सीमाओं से बंधे रहते हैं। हमारे उपयोग या बातचीत अथवा कामना के शब्दों में भले ही बेहद को व्यक्त करने वाले शब्द हों पर हमारा सोच और व्यवहार सामान्यतः हद की सीमाओं या मर्यादाओं से बंधा रहता है। हम लोकतंत्र को लोगों और उनकी कामनाओं का ...
जन्म से लेकर मृत्यु तक हम निरंतर कुछ न कुछ जानते, समझते और सीखते रहते हैं। यह जानना, समझना और सीखना जीवन का सहयोगी है और इससे जीवन और उसके लक्ष्य को पाने में मदद मिलती है। अपने लक्ष्य का निर्धारण भी इन्हीं के सहारे करते हेैं। व्यवहार, कर्म और प्रयोग जीवन के ...
प्रो कमल दीक्षित
दृष्टिकोण छोटा सा शब्द है जो नजरिये का समानार्थी है। आप जिस नजरिये से वस्तु, व्यवहार या लोगों को तथा उनके गुणों आदि को देखते हैं वही दृष्टिकोण कहा जाता है पर वह इतना ही नहीं है। देखना आंख से होता है। देखने में आपका मन और बुध्दि भी उसके ...
Demo Content - राजी खुशी है तो एक पत्रिका... हर माह हिन्दी में प्रकाशित। पर सच पूछें तो यह एक प्रयास, एक पहल है दु:ख, तनाव, हताशा, असफलता और क्रोध या नाराजी को परास्त कर उस पर विजय पाने की। यह प्रयास है उन लोगों से रूबरू होने का जो उन तमाम तकलीफों से गुजरे ...
हम सब की तलाश है... खुशी। आनंद, प्रसन्नता का भी मतलब यही है। इसे अंग्रेजी में कहें या उर्दू में या किसी अन्य भाषा में। गांव हो या शहर, भारत हो या कोई और देश। तलाश सब जगह, सबकी, सब समय यही है... खुशी। राजी खुशी पूछताछ का एक ऐसा मुहावरा है... जो सदियों से अपनों की खैर खबर चाहता और मांगता रहा है। राजी खुशी इसी तलाश का एक नाम है।
राजी खुशी है तो एक पत्रिका... हर माह हिन्दी में प्रकाशित। पर सच पूछें तो यह एक प्रयास, एक पहल है दु:ख, तनाव, हताशा, असफलता और क्रोध या नाराजी को परास्त कर उस पर विजय पाने की। यह प्रयास है उन लोगों से रूबरू होने का जो उन तमाम तकलीफों से गुजरे हैं जो किसी के भी जीवन में आती तो जरूर है पर उन पर विजय पाने में वे कामयाब हुए हैं। यह जीवन को उसके सभी रंगों में डूबने की नहीं वरन् उन्हें जानने-समझने और सरल-सहज ढंग से जीने की कला को बताने का प्रयास है।
यह सफलता, किसी भी कीमत पर पाने या बताने के लिए नहीं है। न ही स्पर्धा या अनैतिक के साथ मानवीय मूल्यों को ताक में रखकर विजय पाने का उपाय बताने के लिए है। यह दुनिया भर में राजी खुशी सफल हुए लोगों के विचार और अनुभवों, सारभूत वैश्विक मूल्यों, निसर्ग की अप्रतिम उपलब्धियों, नेकदिलों, नेकनामियों और मूल्य-धारित समाज, सुखी, समृद्ध समाज की रचना के लिए प्रयत्नरत प्रेरणाओं को जानने और अपनाने के लिए एक अनोखी रचनात्मक पहल है। टैगोर के शब्दों में उन्नत भाल और तनी रीढ़ के मनुष्य के सपने को जमीन पर उतारने का प्रयास है।
राजी खुशी के इस प्रयास में भागीदार बनते हुए राजी खुशी रहें - राजी ख़ुशी रखें।c
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